कॉंग्रेस प्रवक्ता बोली नारी शक्ति बंदन अधिनियम मोदी जी का एक और जुमला
देहरादून, 19 सितम्बर। उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसौनी लोक सभा में पेश महिला आरक्षण विधेयक को मोदी सरकार का एक और शिगुफा और कहा कि मोदी सरकार इस मुद्दे को लेकर आँख मुंदे रही और अब ठीक लोक सभा चुनाव से पहले जानता को मूर्ख बनाने के लिए ऐसा कानून बनाने जा रही है जिसका लागू होना भविष्य के गर्भ में है। उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण स्वर्गीय राजीव गांधी का सपना था एयर उन्होंने ही इसका बीज बोया था।
गरिमा ने कहा कि आज पेश विधेयक में यह भी कहा गया है कि आरक्षण अगली जनगणना के प्रकाशन और उसके बाद परिसीमन प्रक्रिया के बाद प्रभावी होगा। क्या 2024 चुनाव से पहले जनगणना और परिसीमन हो जाएगा? यह विधेयक आज सिर्फ हेडलाइन बनाने के लिए है, जबकि इसका क्रियान्वन बहुत बाद में हो सकता है। उन्होंने कहा कि 2021 में जनगणना न होना भी सरकार की साजिश का नतीजा है।
दसौनी ने कहां कि यह मात्र शिगूफा या सब्ज बाग हैं जो मोदी सरकार आधी आबादी को दिखा रही है।
दसौनी ने कहा की दरअसल आदि आबादी को उसकी जगह दिलाने के लिए और राजनीति में महिलाओं को अग्रणी स्थान दिलाने के लिए स्वर्गीय राजीव गांधी ने इसकी शुरुआत की थी। दसौनी ने कहा की भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस महिलाओं की सार्थक भागीदारी और साझी जिम्मेदारी का महत्व समझती है।
इसलिए कांग्रेस के लिए महिला सशक्तिकरण महज कोई चुनावी शब्द नहीं, एक दृढ़ निश्चय रहा है।
दसौनी ने कहा की पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी जी ने 1989 में पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया। यह विधेयक लोकसभा में पारित हो गया, लेकिन राज्यसभा में पास न हो सका।
फिर 1993 में प्रधानमंत्री श्री पी.वी नरसिम्हा राव जी ने पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक को फिर से पेश किया। दोनों विधेयक पारित हुए और कानून बन गए।नतीजा, आज पंचायतों और नगर पालिकाओं में 15 लाख से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधि हैं।आधी आबादी की इस बेहतरीन भागीदारी ने महिला सशक्तिकरण से जुड़े हमारे आत्मविश्वास को और बढ़ा दिया।
महिलाओं के लिए संसद और विधानसभाओं में एक तिहाई आरक्षण के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह संविधान संशोधन विधेयक लेकर आए। यह विधेयक 9 मार्च 2010 को राज्यसभा में पारित हुआ, लेकिन लोकसभा में न जा सका।
दसौनी ने बताया की राज्यसभा में पारित हुए विधेयक समाप्त नहीं होते, इसलिए महिला आरक्षण विधेयक अभी भी एक्टिव है।
दसौनी ने कहा की पिछले 9 साल से महिला आरक्षण का यह विधेयक लोकसभा में पास होने की राह देख रहा है, लेकिन महिला विरोधी मानसिकता से ग्रसित मोदी सरकार इसे अनदेखा कर रही है।
दसौनी ने जानकारी देते हुए कहा की कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और CPP चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी जी कई बार महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को पत्र लिख चुकी हैं। साथ ही पूर्व अध्यक्ष श्री राहुल गांधी भी इस विषय पर प्रधानमंत्री को पत्र लिख चुके हैं।हाल ही में हुई CWC की बैठक में भी महिला आरक्षण को लागू करने का प्रस्ताव पारित किया गया है।