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उत्तराखंड की वीरबाला तीलू रौतेली, जिनकी आज पुण्यतिथि है

–By Dinesh Shastri
आज 15 मई को उत्तराखंड की उस वीरबाला तीलू रौतेली की पुण्यतिथि है।जब वह 15 साल की थीं, तब पौड़ी गढ़वाल ज़िले में इड़ा तल्ला (श्रीकोटखल के पास) के रहने वाले, भवानी सिंह से उनकी सगाई हो गई थी। उस समय उत्तराखंड पर कत्यूरियों का नियंत्रण था। कुमाऊँ के कत्यूरी सैनिक लगातार गढ़वाल साम्राज्य पर आक्रमण कर रहे थे। गढ़वाल और कुमाऊँ पर चाँद राजवंश का शासन था, जिसमें गढ़वाल में पवार और कुमाऊँ में कत्यूरियों का शासन था। धीरे-धीरे कुमाऊँ में चाँद राजवंश अधिक शक्तिशाली होता गया और कत्यूरियों में विघटन शुरू हो गया। वे कलह का बीज बोने के लिए शहर में लूटपाट और तबाही मचाने लगे। खैरागढ़ पर कत्यूरियों के हमले के दौरान, हालाँकि, भूप सिंह ने आक्रमणकारियों से वीरतापूर्वक युद्ध लड़ा, लेकिन वह इस लड़ाई में अपने दो बेटों और तीलू के मंगेतर समेत शहीद हो गए। केवल पंद्रह वर्ष की तीलू रौतेली ने, अपने पिता की सेना की कमान संभाली। उन्होंने अपने मामा रामू भंडारी, सलाहकार शिवदत्त पोखरियाल और सहेलियों देवकी और बेलू की मदद से एक सेना तैयार की। छत्रपति शिवाजी महाराज के मराठा सेनापति, श्री गुरु गौरीनाथ को सेना का प्रभार दिया गया था। तीलू रौतेली के निर्देशन में हज़ारों युवाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया और गुरिल्ला युद्ध की रणनीति में महारत हासिल की। कहा जाता है कि तीलू रौतेली ने कालिंकाखल में दुश्मन से लड़ाई लड़ी थी। और इस तरह उन्होंने सरायखेत में, जहाँ उनके पिता की हत्या हुई थी, कत्यूरी सेना के सेनापति को पराजित करके अपने पिता की मौत का बदला लिया था। इतनी कम उम्र में अपने पिता, भाइयों और मंगेतर की शहादत का उनका ये बदला, उनकी बहादुरी और साहस का प्रतिबिंब था।
उसी वीरबाला की जीवनी पर आधारित एक गीत आपके समक्ष प्रस्तुत है।
जय जय हो तीलू रौतेली
        – डॉ. राजेश्वर उनियाल
मेघ गर्जन संग चली,  छाए गगन में बदली,
वीरबाला वीरांगना, जय जय हो तीलू रौतेली।
जै जै हो तीलू रौतेली, जय जय हो तीलू रौतेली…
खडग खडकने लगे, रणभेरी गूंजने लगी,
धूल से धरती भरी, जब अश्‍व सेना बढ़ चली ।
दुश्‍मन को रौंदती चली, वाहन ये तेरी बिंदुली,
वेलू देवकी सहेली संगनी, लाई है तीलू रौतेली। ।
लाई है तीलू रौतेली, जय जय हो तीलू रौतेली…
पर्वत पुष्प बिखेरते, नयार मध्यम हो चली,
जिस डगरसे तू चली, पावन वो माटी हो चली ।
चांद सी तेरि कांति काया, रौद्ररूप है धर चली,
शत्रुओं का संहार करने, चली है तीलू रौतेली । ।
चली है तीलू रौतेली, जय जय हो तीलू रौतेली…
अधरों में है आज तेरे, रक्त पिपासा जग चली,
केश अपने बांधकर, मुण्‍डमाला पहन चली ।
ललाट दहकने लगे, अंगार नयनों से जली,
शोलों से सज श्रंगार कर, आई है तीलू रौतेली । ।
आई है तीलू रौतेली, जय जय हो तीलू रौतेली…

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