भारत में विदेशी चीतों की वर्षगांठ, ख़ुशी मनाएं या गम : 20 में से 9 चीते मर गए
So far, six adult cheetahs and three cubs have died, taking the number of deaths to nine. A monitoring team found Tiblisi – aka Dhatri, a female brought to Kuno from Namibia – dead on the morning of August 2, according to a press note by the Madhya Pradesh state forest department.

-uttarakhandhimalaya.in —
भारत में प्रोजेक्ट चीता के सफल कार्यान्वयन के एक वर्ष के उपलक्ष्य में, 17 सिंतबर, 2023 को सेसईपुरा वन परिसर, कूनो राष्ट्रीय उद्यान, मध्य प्रदेश में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में पर्यावरण और वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी), एनटीसीए और मध्य प्रदेश वन विभाग के अधिकारियों ने भाग लिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर 17 सितंबर, 2022 को भारत ने वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक इतिहास बनाया, जब धरती पर सबसे तेजी से दौड़ने वाला जानवर विलुप्त होने के लगभग 75 वर्षों के बाद आखिरकार भारत लौट आया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने जन्मदिन पर स्वयं कूनो में चीतों को छोड़ा था। उम्मीद जागी, कि अब चीते फिर भारत में बसने लगेंगे. लेकिन अब तक कूनो में 9 चीतों की मौत हो चुकी है । एक जीवित शावक अब 6 महीने का है और सामान्य रूप से बढ़ा हो रहा है। लेकिन चिंता का विषय यह है की भारत में ये विदेश चीते लगातार मर रहे हैं।
कूनो नेशनल पार्क में चीता पुनरोत्थान के लिए नामीबिया और साउथ अफ्रीका से 20 चीते लाए गए थे, लेकिन अलग-अलग कारणों से अभी तक 6 वयस्क और 3 शावकों की मौत हो चुकी है। 14 चीते जिनमें सात नर, छह मादा और एक मादा शावक को कूनो के बाड़े में रखा गया है।
दुनिया भर में इस समय चीतों की संख्या लगभग 7,000 है, जिनमें से आधे से ज़्यादा चीते दक्षिण अफ़्रीका, नामीबिया और बोत्सवाना में मौजूद हैं।भारत ने 1950 के दशक में चीते को विलुप्त घोषित कर दिया था. उस समय देश में एक भी जीवित चीता नहीं बचा था।
कहा जाता है कि 1947 में चीतों को आखिरी बार देखा गया था. उस समय छत्तीसगढ़ की एक छोटी रियासत कोरिया के राजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने देश के आखिरी तीन चीतों का शिकार कर उन्हें मार दिया। इसके बाद से चीते कभी नजर नहीं आए। 1952 में भारत सरकार ने आधिकारिक रूप से चीतों को भारत में विलुप्त घोषित कर दिया।
चीता एक बार में छह शिशुओं को जन्म देता है। इनकी औसत आयु 10-12 साल होती है। कैद में यानि नेशनल पार्क आदि जैसी जगहों पर इन चीतों की उम्र 17-20 साल तक होती है।
चीतों के लिए अन्य वैकल्पिक स्थल गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य और नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य में भी तैयार किए जा रहे हैं। गांधी सागर डब्ल्यूएलएस में संगरोध और अनुकूलन बाड़े निर्माणाधीन हैं और वर्ष के अंत तक साइट तैयार होने की उम्मीद है। साइट के मूल्यांकन के बाद, चीता के अगले बैच को गांधी सागर डब्ल्यूएलएस में लाने की योजना बनाई जाएगी। चीता सेंटर, चीता रिसर्च सेंटर, इंटरप्रिटेशन सेंटर, चीता मैनेजमेंट ट्रेनिंग सेंटर और चीता सफारी के संरक्षण प्रजनन की योजना बनाई जा रही है।