आपदा, अतिक्रमण और डेंगू जैसे मुद्दों को लेकर वाम दलों का राज्यव्यापी प्रदर्शन
देहरादून 5 सितम्बर। प्राकृतिक आपदा,अतिक्रमण के नाम पर गरीबों को उजाड़ने तथा बढ़ते डेंगू पर अंकुश न लगाने के मुद्दे पर तीन वामपंथी दलों सीपीआई, सीपीएम तथा सीपीआई (माले)ने आज राज्य व्पापी आहवान के तहत राज्य के विभिन्न हिस्सों में धरने एवं प्रदर्शन का आयोजन किया ।
देहरादून में दीनदयाल पार्क के सामने धरना दिया गया तथा जिलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन प्रेषित किया गया । ज्ञापन जिला प्रशासन की ओर से तहसीलदार मजिस्ट्रेट सदर को दिया गया । इस अवसर एक सभा का आयोजन किया गया जिसे वामपंथी नेताओं ने सम्बोधित किया तथा भाजपा सरकार की नीतियों की जमकर आलोचना की तथा कहा है कि यह सरकार राज्य विरोधी तथा पूंजीपतियों की सरकार है जो जनतान्त्रिक मूल्यों का अनादर कर रही है।
धरने मेंसीपीआइ के वरिष्ठ नेता गिरिधर पण्डित, CPIM राज्य सचिव राजेन्द्र सिंह नेगी ,CPIM (ML) के राज्य सचिव इन्द्रेश मैखुरी , CPIM के बरिष्ठ नेता सुरेन्द्र सिंह सजवाण ,इन्दु नौडियाल , पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शिवप्रसाद देवली ,सिपिएम जिलासचिव राजेन्द्र पुरोहित, देहरादून सचिव अनन्त आकाश, पछवादून सचिव कमरूद्दीन, माला गुरूंग, विजय भट्ट, आरयूपी के अध्यक्ष नवनित गुंसाई, CPI के वरिष्ठ अशोक शर्मा ,एस एस रजवार, महिपाल बिष्ट ,बिक्रम पुण्डिर ,K P Singh , अनिता, संगिता, साहेला, कलावती आदि शामिल थे।
ज्ञापन में कहा गया है कि उत्तराखंड में मानसून की बारिश से लगभग पूरा ही राज्य प्रभावित हुआ है , किन्तु उत्तराखंड का पहाड़ी क्षेत्र इस बरसात में सर्वाधिक प्रभावित हुआ। सभी जिलों में आपदा के चलते भारी नुकसान हुआ है । बहुत से लोगों की जान गई और कृषि भूमि, पशुधन का भी नुकसान हुआ है । ज्ञापन में मांग की गयी है कि सपूर्ण राज्य के सभी आपदा प्रभावित लोगों का सही जमीनी आकलन कर तत्काल राहत एवं पुनर्वास किया जाये तथा आपदा से प्रभावित गांवों के विस्थापन पुनर्वास की कार्यवाहीकरती शीघ्र अमल में लाई जाए। वाम दलों की मांग है कि आपदा से लगातार प्रभावित इस राज्य की विस्थापन एवम पुनर्वास नीति में बदलाव करते हुए उसे और व्यापक व व्यवहारिक बनाया जाए।
राजधानी देहरादून एवं इसके ग्रामीण क्षेत्रों ,कस्वों कि हालात बद से बदतर है ,जगह – जगह सड़कें क्षतिग्रस्त तथा गढ्ढायुक्त हैं ,स्मार्ट सिटी आदि योजनाओं का पैसे का जमकर लूटा जा रहा है जिसमें सतापक्ष के लोगों से लेकर अनेकानेक कम्पनियां शामिल हैं ,देहरादून शिवालिक क्षेत्र के इर्दगिर्द जुड़ी आबादी हर साल जंगलों से आने वाले पानी से भारी नुकसान उठा रही ,सरकार इस ओर बाढ़ रोकथाम की समुचित योजना नहीं बना रही है । सौंग नदी आदि नाले खाले हर साल खेती को नुकसान पहुंचा रही है ,इस ओर ध्यान दिया जाना चाहिए ।
ज्ञापन में कहा गया कि डेंगू भी राज्य में महामारी और आपदा का रूप ले चुका है । देहरादून, हल्द्वानी जैसे मैदानी इलाकों में ही नहीं श्रीनगर(गढ़वाल) जैसे पहाड़ी नगर भी डेंगू की मार से त्रस्त हैं ।बीते कुछ सालों से यह हर साल की परिघटना बन गया है। लेकिन डेंगू की रोकथाम के कोई ठोस उपाय राज्य सरकार की ओर से नहीं किए जा रहे हैं ।परिणामस्वरूप प्रभावितों को भारी कीमत चुकाकर इलाज करना पड़ रहा है। कई मरीजों का तो इलाज न होने के कारण असमय मृत्यु हो चुकी है। इसलिए डेंगू की रोकथाम और उन्मूलन के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए । वाम दलों ने अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत गरीबों को उजड़ने का विरोध करते हुए ज्ञापन में कहा कि आपदा के इस संकट में अतिक्रमण हटाने की नाम पर उनके दुकान-मकानों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है। ऐसे कस्बे- बसासतें- व्यापारिक केंद्र भी तोड़े जा रहे हैं, जो सड़क बनने से पहले से अस्तित्व में हैं। यह भी गौरतलब है कि यह सारी मार छोटे-मझोले व्यवसाय करने वालों पर है. हम यह मांग करते हैं कि अतिक्रमण हटाने के नाम पर गरीबों को उजाड़ने का यह क्रूर खेल बंद होना चाहिए।